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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 6 मई 2024 (09:47 IST)

Shiv Chaturdashi: शिव चतुर्दशी व्रत आज, जानें महत्व, पूजा विधि और मंत्र

शिव चतुर्दशी व्रत पर पूजन कैसे करें

Shiv Chaturdashi: शिव चतुर्दशी व्रत आज, जानें महत्व, पूजा विधि और मंत्र - Shiva Chaturdashi
shiv chaturdashi
 
HIGHLIGHTS
 
• वैशाख मास का शिव चतुर्दशी व्रत। 
• मासिक शिवरात्रि व्रत पूजन विधि।
 
chaturdashi 2024: धार्मिक मान्यता के अनुसार चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिवशंकर हैं। अत: इस दिन शिव-पार्वती जी के साथ ही श्री गणेश और भगवान कार्तिकेय का पूजन किया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास में दो बार चतुर्दशी तिथि पड़ती आती है। अत: हर माह पड़ने वाली 14वीं तिथि को चतुर्दशी अथवा चौदस के नाम से जाना जाता है। चतुर्दशी तिथि एक पूर्णिमा के बाद और दूसरी अमावस्या के बाद पड़ती है। 
 
हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्दशी को कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी और अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्दशी को शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी कहते हैं।

मासिक शिवरात्रि तथा चतुर्दशी के दिन शिव जी का पूजन जीवन में सुख-शांति की कामना से किया जाता है। यदि कोई भक्त विधि-विधानपूर्वक इस दिन शिव जी का पूजन करें तो वह जीवन के समस्त सुखों को भोगकर सांसारिक बंधन से मुक्त हो जाता है। 
 
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वर्ष 2024 में वैशाख मास कृष्ण पक्ष का चतुर्दशी व्रत आज यानी 06 मई, दिन सोमवार को रखा जा रहा है। आइए जानें चतुर्दशी पर कैसे करें पूजन...
 
पढ़ें सरल विधि : Chaturdashi Puja Vidhi 2024
 
- चतुर्दशी तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके भगवान शिव का ध्‍यान करें तथा व्रत का संकल्‍प लें।
- पूजन के दौरान शिवलिंग पर जल, दूध, गंगाजल (यदि उपलब्ध हो तो) शकर, घी, शहद और दही अर्पित करके पूजन करें। 
- पुष्प, बिल्वपत्र, धतूरा आदि भी चढ़ाएं। 
- भगवान शिव के साथ देवी पार्वती की आरती करें।
- मिठाई का भोग लगाएं। 
- शिव मंत्र- 'ॐ नम: शिवाय' का जाप अधिक से अधिक करें। 
- शिव-पार्वती की पूजा करने के बाद रात्रि जागरण करें।
- अगले दिन प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर पूजन करके ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें।
- तत्पश्चात पारण करके व्रत को पूर्ण करें।
 
आज के शुभ मंत्र- 
 
'शिवाय नम:'। 
'ॐ नम: शिवाय'।
'ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ'। 
 
इन मंत्र का जाप करना अधिक फलदायी रहता है। तथा इस व्रत को करने से क्रोध, लोभ, मोह आदि बंधनों से मुक्ति मिलती है। 
 
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