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Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 24 अप्रैल 2024 (13:52 IST)

आशा द्वितीया 2024: आसों दोज का पर्व क्यों मनाते हैं, जानें पूजन सामग्री और विधि

आसों दोज व्रत पूजन के बारे में जानें

आशा द्वितीया 2024: आसों दोज का पर्व क्यों मनाते हैं, जानें पूजन सामग्री और विधि - Ason Dooj Date 2024
Asha Dwitiya 2024
 
HIGHLIGHTS
 
• आशा द्वितीया क्या हैं?
• वैशाख मास कब से शुरू हो रहा है। 
• आसमाई की पूजा कब होती है।
Aasmai dwitiya puja : इस बार 24 अप्रैल 2024, दिन बुधवार से वैशाख मास का प्रारंभ हो रहा है। और इसी कड़ी में आने वाला महत्वपूर्ण पर्व जो कि प्रतिवर्ष वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की दूज के दिन पड़ता हैं, जिसे आशा द्वितीया/ आसमाई या आसों दोज कहते हैं, वह इस बार गुरुवार, 25 अप्रैल को मनाया जाएगा। 
 
क्यों मनाते हैं यह त्योहार : खासकर उत्तर भारत के बुन्देलखंड में आसों दूज का खास महत्व रहता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार यह व्रत कार्य सिद्धि के लिए किया जाता है। इस संबंध में यह भी कहा जाता है कि जब हमारी कोई इच्छापूर्ण नहीं होती है तो आसामाई को प्रसन्न करके जीवन को सुंदर बनाया जाता है। फिर जीवनपर्यंत हर साल उनकी पूजा करनी होती है।

यह व्रत वे महिलाएं करती हैं जिनकी संतान होती हैं। सामान्य तौर पर पुत्र की माता ही आसमाई का व्रत करती है। इस दिन भोजन में नमक का प्रयोग वर्जित होता है।  
 
पूजा सामग्री :
• पान का पत्ता
• गोपी चंदन
• लकड़ी का पाट
• आसामाई की तस्वीर।
• कलश (मिट्टी)
• रोली
• अक्षत
• धूप
• दीप
• घी
• नैवेद्य (हलवा पूड़ी)
• सूखा आटा।
 
पूजा की विधि : 
 
• अच्‍छे मीठे पान पर सफेद चंदन से आसामाई की मूर्ति बनाकर उनके समक्ष 4 कौड़ियों को रखकर पूजा की जाती है।
• इसके बाद चौक पूरकर कलश स्थापित करते हैं। 
• चौक के पास ही गोटियों वाला मांगलिक सूत्र रखते हैं।
• षोडोषपचार पूजा करके भोग लगाते हैं। 
• भोग के लिए 7 आसें एक प्रकार बनाई जाती हैं। इसे व्रत करने वाली स्त्री ही खाती है।
• फिर भोग लगाते समय इस मांगलिक सूत्र को धारण करते हैं।
• इसके बाद घर का सबसे छोटा बच्चा कौड़ियों को पटिये पर डालता है। 
• स्त्री उन कौड़ियों को अपने पास रखती हैं और हर वर्ष इनकी पूजा करती है
• अंत में भोग सभी को प्रसाद रूप में वितरित किया जाता है।
• फिर आसमाई की कथा की जाती है या सुनी जाती है।
• अंत में व्रत का पारण किया जाता है।
 
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